पड़ोसी आंटी की बड़ी गाडं चोदने का दिन  

मुझे कुछ दिन पहले एक सपना आया, जिसमें मैंने अपनी सेक्सी पड़ोसन को चोदा, जिसका फिगर किसी हीरोइन से कम नहीं है। उसका फिगर 36-32-34 है, गोरा बदन, भूरी आँखें, लंबे सिल्की बाल, जिन्हें देखकर मन करता है कि घोड़ी बनाकर चोदूं और बालों को पकड़ूं। आगे की कहानी बताता हूँ। उस आंटी का नाम ममता था।

मैंने सपना देखा कि मेरे माँ और पिताजी किसी रिश्तेदार के यहाँ जाने के लिए तैयार हो रहे थे। मेरी ट्यूशन थी, तो मैंने मना कर दिया। मेरे माँ-पिताजी ने मुझे कहा, “घर का ध्यान रखना, हम शाम के 9 बजे तक आएंगे।” तब दोस्तों, दिन के 12 बज रहे थे, और मेरे माँ-पिताजी चले गए। फिर मेरे सर आए।

आपने पहले पढ़ा था, मैं टॉपिक रिवाइज कर रहा था कि तभी डोरबेल बजी। गेट की तरफ बढ़ा और देखा कि वो मेरी पड़ोस वाली आंटी थी। मेरे तो जैसे मन में लड्डू फूटे, और मैंने एक स्माइल देते हुए पूछा, “क्या बात है, आंटी?” तो उन्होंने कहा, “बेटा, जरा अपनी माँ को बुलाना।”

मैंने कहा, “मेरी माँ तो किसी रिश्तेदार के यहाँ गई हैं और शाम तक ही आएंगी।” तो मैंने पूछा, “कोई अर्जेंट काम?” उन्होंने कहा कि कोई दस्तावेज़ है, जो तुम्हारी माँ ने उन्हें दिया था। मुझे उन दस्तावेज़ों के बारे में पता था, और मैंने कहा, “मुझे पता है, आंटी।” तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा, “अच्छा, ये अच्छी बात हुई।” “रातों की रूमानी दुनिया — SexStoryHub के संग!”

मेरी रिक्वेस्ट को अनसुना करने के लिए उन्होंने कहा कि जरा तुम मेरे घर पर एक बार देख लोगे। मेरा तो दिल बाग-बाग हो गया। मेरी तो लॉटरी निकल गई, मानो। मैं उनके घर गया, क्योंकि गेट के बाहर अंधेरा था, तो मैं उनके चेहरे को ही देख पा रहा था। पर जब उनके घर आया, तो उनका फिगर देखा कि क्या मस्त लग रही थी।

मेरा मन तो कर रहा था कि अभी इनमें समा जाऊं, पर मैंने आइडिया ड्रॉप कर दिया। उनके स्तन उनकी टी-शर्ट में से बाहर आने को तड़प रहे थे। मैं उन्हें घूरे जा रहा था, और एकदम से मेरी पैंट में मेरा लंड सलामी देने लगा। वो मेरे आगे चल रही थी।

पर जब वो दस्तावेज़ लेकर आईं, तो उन्होंने मुझे नोटिस किया। मैंने नज़र हटा ली, लेकिन उन्होंने तब कुछ नहीं कहा। पर थोड़ी देर बाद मैं उनकी गांड देख रहा था, क्योंकि कुछ पेपर गिरे थे। पर उन्हें एकदम से मुझे देख लिया, और वो मेरे लंड को देखने लगीं, जो उनकी गांड को सलामी दे रहा था।

आंटी फिर खड़ी हुईं और बोलीं, “तुम क्या देख रहे थे?” मैंने कहा, “मैं बोलूंगा, तो आप मेरी शिकायत कर दोगी।” उन्होंने फिर पूछा, “क्या, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?” मैंने मौके पे चौका मारा और कहा, “नहीं, और आप जैसी कोई नहीं मिली।”

मैंने ग्रीन सिग्नल समझकर उनके पास गया और उन्हें टच किया। (मेरी किस्मत तो देखो, उनके घरवाले भी अभी-अभी कहीं गए थे।) फिर मैंने हल्के से उनकी पीठ पर हाथ फेरा। वो गर्म हो रही थीं। उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया, और मैंने उनके होंठों से अपने होंठ मिलाए और फ्रेंच किस शुरू कर दी।

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करीब 5-10 मिनट बाद उन्होंने मेरी पैंट खोली और 7 इंच और 2.5 इंच चौड़ा लंड देखकर पागल-सी हो गईं और झट से मुँह में ले लिया। मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था। फिर 15 मिनट तक चूसने के बाद उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए, और मैं एकदम से उनके चूचों पर लपक गया।

दोस्तो, वो पल मेरी आँखों में अभी भी है। फिर मैंने उनके चूचों को जोर से दबाया, और वो सिसकारियां ले रही थीं, “आह्ह… ऊई… ईई… मम्म…” और करीब 20 मिनट तक मैं उनके निपल्स चूसता रहा। फिर मैंने ज्यादा देर न करते हुए उन्हें बिस्तर पर लिटाया। उन्होंने मुझसे कहा, “अब और इंतज़ार नहीं होता, अब डाल दो अपना ये लोहा मेरी सुलगती चूत में।” मैं तो जैसे इस मौके की ताक में था। फिर मैंने अपना लंड थोड़ा-सा डाला, और उनका हल्का गाल निकला, “आह्ह… आह्ह…” और वो झड़ गईं। फिर बोलीं, “अब और मत तड़पाओ, राजा, डाल दो, अब बस करो।” तो अगले झटके में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुसा, और वो सिसकारियां ले रही थीं। फिर मैंने एक हाथ से उनके स्तनों को पकड़ा और दूसरे से चूत मसल रहा था और चोद रहा था। क्या आनंद भरा था! फिर मैंने उन्हें अपने लंड पर बिठाया और जोर-जोर से उछालना शुरू किया। करीब 15 मिनट बाद मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में चोदा। मेरा तो मन मस्त मगन था। मैंने उन्हें इस पोजीशन में 20 मिनट तक चोदा, और वो दूसरी बार झड़ गईं। मैं भी साथ-साथ झड़ गया।

फिर हम एक-दूसरे की बाहों में लेटकर किस करने लगे और ऐसे ही नंगे बिस्तर पर लेट गए। फिर कुछ देर बाद आंटी मेरा लंड चूस रही थीं। अब मेरा तंबू फिर से तैयार हो गया था, और आंटी मुँह में ले रही थीं। “आह्ह… आह्ह…” की आवाज़ निकल रही थी। फिर मैंने आंटी को लिटाया और जोर-जोर से चुदाई की। पहले 10 मिनट बाद आंटी और मैं एक साथ झड़ गए। फिर हम बिस्तर पर लेट गए, दोस्तों। तभी मेरा अलार्म बज गया!! और मेरा सुनहरा सपना टूट गया। पर वो सपना अभी भी याद है, तभी तो लिख पाया।

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