डीहट की भाभी के साथ भयंकर चुदाई 

मैं सेजल हूं। मेरी उम्र 36 साल है। मेरा नाम जितना सुंदर है, उतनी ही मैं सुंदर और कोमल हूं। मेरे कई दीवाने हैं, पर आज तक मैंने किसी को अपना बदन छूने नहीं दिया।

मेरी काया भी कमाल की है। बड़ी-बड़ी गोरी दमकती चूचियां और उभरी हुई गांड के साथ एकदम हाई वोल्टेज सेक्सी काया है मेरी। मदिरा से भरी मेरी आंखें शराब की बंद बोतल के समान हैं। मेरे रस-भरे गुलाबी होंठ, जिनके रस के लिए तड़पते भंवरे मेरे इर्द-गिर्द मंडराते तो हैं। लेकिन मैंने उन भंवरों को सताया तक नहीं।

पर नियति का खेल देखिए। अब 36 की उम्र में ऐसी ज्वाला बदन में जागी है कि मैंने सब कुछ उस 18 साल के निम्नोछे छोरे पर न्योछावर कर दिया। अब मैं कहानी पर आती हूं। उस छोरे का नाम विकास है। बिल्कुल कामदेव की तरह उसकी काया है, जिस पर कोई भी अप्सरा मर-मिट जाए।

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पूरे 6 फीट लंबा, एकदम सॉलिड बदन वाला है वो। ना गोरा, ना काला रंग है उसका। विकास के सिर पर उसके काले घुंघराले बाल उसे और भी आकर्षक बनाते हैं। विकास मेरे ही गांव का लड़का है। आकर्षक देह और दृष्टि है उसकी, पर बेचारा गरीब मां-बाप की संतान है। प्रथम वर्ष का छात्र है वो।

उसकी मां ने विकास को मेरे पास रखवा दिया, यह कहते हुए कि वो मेरे घर का काम-काज कर देगा और शहर में रहकर अपनी पढ़ाई भी जारी रखेगा। मैंने जब विकास को देखा, तो पहली ही नजर में उस पर मोहित हो गई। मैं विकास को अपने साथ रखने के लिए राजी हो गई। “रातों की रूमानी दुनिया — SexStoryHub के संग!”

मेरे पति की 10 साल पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मेरी एक बेटी थी, जिसका नाम था परी। रिश्तेदारों ने बहुत कहा, पर मैंने दूसरी शादी नहीं की। साथ ही सती धर्म का पालन करते हुए मैंने किसी से भी चुदवाया नहीं। मेरी चूत लगभग सूख चुकी थी।

पिछले दिनों मेरी बेटी की शादी हुई, और वो मुझसे दूर चली गई। विकास को साथ रखने का फैसला भी मैंने इसी बात को ध्यान में रखते हुए लिया था। फिर विकास मेरे साथ रहने के लिए आ गया। पहले ही दिन से मैं विकास पर मोहित थी।

विकास भी मुझे बार-बार घूरता रहता था। हम दोनों की नजर मिलती थी, और फिर झुक जाती थी। रात में विकास ने खाना तैयार किया। फिर हम लोग साथ बैठकर खा रहे थे। इस समय भी हम दोनों की नजर टकराती थी, और फिर झुक जाती थी। फिर मैं विकास से पूछ बैठी-

मैं: विकास, बताओ तो, तुम मुझे बार-बार क्यों घूर रहे हो?

विकास बोला: पता नहीं मैम, मेरी नजरें बार-बार आपकी शोख काया की तरफ खिंची चली जाती हैं। जितना मैं अपने आप को रोकने की कोशिश करता हूं, उतना ही आपको करीब जाता हूं।

फिर मैं बोली: मेरे साथ भी यही हो रहा है। मैं पिछले 10 सालों से किसी मर्द की तरफ इतनी आकर्षित नहीं हुई, जितनी तुम्हारी तरफ हो रही हूं।

मेरी बातों से विकास को ग्रीन सिग्नल मिल गया, और अब तक जो वो दूर बैठा था, वो मेरे और करीब आ गया। फिर वो बोला-

विकास: आपके बदन की खुशबू मुझे पागल किए जा रही है। मेरी सुध-बुध ठिकाने पर नहीं रह पा रही है। लगता है मैं इस खुशबू में बस डूब जाऊं।

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फिर मैंने आगे बढ़कर विकास को सीने से लगा लिया। मेरी नाजुक कोमल चूचियों के एहसास ने विकास के होश उड़ा दिए। अब वो बस मेरी सुंदरता में डूब जाना चाहता था। और मैंने अपने नाजुक कोमल बदन को उसकी मजबूत बाहों में समर्पित कर दिया।

विकास मेरे रस से भरे गुलाबी होंठों का रस अपने होंठों से चूस रहा था। मुझे इससे बहुत सुकून मिल रहा था। मेरी बरसों से सूखी पड़ी चूत अब गीली होने लगी थी। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियां तनने लगी थीं। मैं विकास से और चिपकती चली गई, और विकास मेरे होंठों का रस पी रहा था।

उसके हाथ मेरी चूचियों पर थे। मैं अपनी चूचियों पर विकास की उंगलियों के खिलवाड़ से उत्तेजना से भरती चली गई। मेरी चूत का रस लगातार टपक रहा था। विकास ने मेरी नाजुक हथेलियों को अपने हाथों में लिया और अपने लंड पर रख दिया।

अब तक मैंने लंड को ना तो छुआ था, ना ही देखा था। विशाल, मोटे और लंबे लंड को हाथों में पाकर मेरा पूरा बदन झनझना गया। क्या मस्त लौड़ा था, एकदम फौलाद की तरह गुलाबी। फिर विकास मेरे जिस्म को नंगा करने लगा। सबसे पहले उसने मेरा ब्लाउज खोला और ब्रा के ऊपर से चूचियों को रगड़ा।

फिर उसने मेरी चूचियों पर मुंह लगाया। इस बीच मैंने खुद से अपनी साड़ी उतार दी। मैं अब पेटीकोट और ब्रा में थी। मेरी अर्धनग्न काया का असर ये हुआ कि विकास बार-बार अपने कड़कते लंड को पेटीकोट के ऊपर से ही चूत पर रगड़ने लगा।

मुझे अब असीम सुख का एहसास हो रहा था। विकास मेरी ब्रा को खोल रहा था। फिर मैंने विकास की पैंट उतार दी। उसके बाद मैंने उसका अंडरवियर भी उतार दिया। अब लंड महाराज साक्षात मेरी महारानी चूत को सलामी दे रहे थे।

मैं अब अपने से आधी उम्र के छोरे के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मुझे लाज भी नहीं आ रही थी, और लग रहा था कि कितनी जल्दी ये फौलाद रूपी लौड़ा मेरी बुर में समा जाएगा। मेरी चिकनी सपाट चूत, जिसमें से मदन-रस टपक रहा था, विकास के सामने उसके लंड के स्वागत के लिए तैयार थी।

फिर टपकते हुए मदन-रस का स्वाद चखने के लिए विकास नीचे झुका। उसने मेरी चूत पर लावणी की तरह मुंह लगाया और चाट-चाटकर चूसने लगा। विकास रह-रहकर अपनी जीभ को चूत में घुसा देता। जब चूत के अंदर जीभ का स्पर्श जी-स्पॉट से होता, तो मैं मस्ती से उछलती। विकास, जो मेरी चूत चाटने में मशगूल था, उसे झकझोरते हुए मैं बोली-

मैं: मेरे प्यारे राजा, अब और मुझसे रहा नहीं जाता। अब सब छोड़ो और डाल दो इस कड़कते लंड को मेरी चूत में। एक बार रस से भर दो मेरी चूत को। फिर जैसे मन करे, वैसे चोदते रहना। ये रात सिर्फ तुम्हारी है।

मेरी बात सुनकर विकास को मुझ पर दया आ गई। फिर उसने मुझे बिस्तर पर चित लिटाया और मेरी टांगों को फैलाया। उसके बाद वो मेरी दोनों टांगों के बीच बैठकर अपना लौड़ा मेरी बुर पर रगड़ने लगा। वो लौड़ा बुर पर रगड़ रहा था, और रगड़ते-रगड़ते लौड़ा बुर की दरार पर आ गया। तभी मैंने नीचे से गांड उछाल दी, और उसका लौड़ा घप से मेरी बुर के अंदर चला गया। ठीक उसी वक्त विकास ने अपने लंड को नीचे दबाया, और पूरा का पूरा लौड़ा मेरी बुर में समा गया। कितना मजा मिल रहा था मुझे उस पल में, मैं शब्दों में बयान नहीं कर पाऊंगी।

मैं तो अपनी सभी चूत वालियों से कहूंगी कि रानी, चुदवाकर देख ले, कितना मजा है। जब लौड़ा बुर में हो, मुंह में जीभ हो, और चूचियों पर आशिक का हाथ हो, तब तो जन्नत कहीं और नहीं है। तब जन्नत इसी बिस्तर पर है। अब विकास मुझे हौले-हौले चोद रहा था। मुझे बड़ा मजा मिल रहा था, लेकिन मेरी आत्मा कह रही थी।

आत्मा: रानी, हौले-हौले मत चुदवा। घोड़े को चाबुक लगा, साला जोर से दौड़ेगा। फिर देखना हमें कितना मजा है।

फिर मैंने अपनी अंतर-आत्मा की आवाज पर अमल किया और विकास को बोली-

मैं: अरे मादरचोद, तुझे चोदना नहीं आता क्या? धक-धक कर, और कस-कस के ठोक कर चोद। ये दिन मेरे नसीब में पूरे 10 साल बाद आया है।

मेरी बात सुनकर विकास को ताव आ गया, और वो धक-धक पेलने लगा मेरी चूत को। विकास ढक-ढक चोद रहा था मुझे, और मैं गांड उछाल-उछालकर मस्ती से चुदवा रही थी। विकास ने पूरे आधे घंटे तक मेरी बुर को चोदा। उस आधे घंटे में मैं दो बार चरम सुख को प्राप्त कर चुकी थी। विकास अब पूरी ताकत से मुझे जकड़े हुए फच-फच चोद रहा था। अब उसका लंड चोदते-चोदते मोटा होकर डेढ़ गुना बड़ा हो गया था।

मेरी चूत सिकुड़कर छोटी हो गई थी। मोटे लंड और चिकनी चूत में जंग जारी थी। लेकिन लंड महाराज थककर अब पसीना-पसीना हो चुके थे। चूत महारानी भी लंड महाराज की फुहार के लिए तैयार थी। फिर विकास आह-आह करता हुआ चूत के अंदर ही झड़ गया। मैं असीम सुख को पाकर गहरी नींद में चली गई। जब मेरी आंख खुली, तो मैंने देखा विकास मेरी बुर को चाट रहा था। अब मेरी जिंदगी में बहार ही बहार है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता, जब चुदाई का खेल ना हो।

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